Tuesday, February 28, 2012

कहूँ क्या    ?
वो दर्द   

जो कभी कुम्हलाया  नहीं 
 तेरे गमन के बाद 
तब से अब तक मै
 यही महसूस करता हूँ कि

शायद वो समय सही  था 
उन फैसलों के लिए 

जिनसे मुझे ऐतराज था 

पर शायद तेरा न रूठना बेहतर था 
औरों के मुकाबले 


शायद तुम थी जीवन संगीत 

जो सब सुरों से परे है 

और

मै आजन्म बेसुरा 

तुम्हारे महत्व को समझ न सका 

कहूँ क्या   ?

अब  रहा नहीं शेष जीवन में 

मै शायद अकेला था 

उन  चंद पलों के सहारे 

  जो   थे 

किताबों की अलमारी  में सिमटे हुए 

जिनके सहारे जीवन आहिस्ता - आहिस्ता 

रेंगने की कोशिश कर रहा था 

पर शायद  किस्मत को ये मंजूर नहीं 

सोचता हूँ 

कि हाथों में तलवार ही उठा लूं 

कम से कम मौत तो गुमनामी कि न मिले 

हर दिन जब सूरज अपनी जवानी 

पर होता है 

तो अधखुली आँखों से सोचता हूँ 

कि 

क्या यही अंत है 

उस सुन्दर जीवन की कल्पना का 

जिसे न जाने  कितनी बार हमने  

मिल कर संजोया था

 

तुमने तो कहा था प्रेम अनंत है 

ये सदियों  के लिए होता है 

अचानक से ऐसा क्या हुआ   ? 

क्यों  तुम चली गयी मुझे अकेला छोड़कर 

इस अनजाने से संसार में 

भटकने के लिए 


 एक मौका तो दिया होता मुझे अपने साथ जीने का 


कम से कम आज मै एकान्तवादी 

मौत का प्यासा 


तो न होता    ............................................

Tuesday, January 10, 2012

हे   

प्रेम  तुम  मौन  क्यूँ  रहते  हो  ?

जिसके  पास  तुम  होते  हो  वही  निशब्द  हो  जाता  है  

हमेशा  चेहरों  पर  ही   कयों 
 
 तुम  उदासी   सा  भाव  देते  हो  तुम  ?
 
आखिर  उनसे  उनका  सुख  चैन  तुम  छीन  लेते  हो  जो  

तुम्हे  चाहते  हैं 

प्रेम   आखिर  कयों  तुम  लोगों  की  आँखों  में  आंसू  ही  देते  हो   ?

क्या  आज  की  भागती   जिन्दगी  में  तुम  भी  बदल  गए  हो     ?

Friday, December 2, 2011

एक अधूरी कहानी

आज मै गुजरा उन  तंग गलियों से
जहाँ बसता है असली हिन्दोस्तां




महसूस सा हुआ मुझे वहां जाकर
कि ये तो अभी ग़ुलामी का जीवन जी रहें हैं




कुछ भूख से बेहाल होकर रो रहे हैं
तो कुछ भुखमरी की आग़ोश में
  मौत की गहरी  नींद सो रहे हैं ..










आज मै गुजरा .......................................................








क्या यही आजादी है


कि एक तरफ सैकड़ों टन अनाज सड़ रहा है
वहीँ एक तरफ हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा भूख से मर रहा है
                        
आज का युवा खुद को खो रहा है
ज्यादा तेजी से आगे जाने के लिए नशे की आगोश में आ रहा है


बेरोजगारी के कारण
भ्रष्टाचारी  , अपराधी बन रहा है








 आज मै गुजरा ....................................................






आज भी राजा होते है
पर देश को नोचने खसोटने के लिए
विदेशियों से बचा धन
 निर्विरोध उन्ही के बैंको में पहुँचाने के लिए








जिन्दों के  शोषण के बारे में तो बहुत सुना था हमने
पर यहाँ तो मरने के बाद भी शोषण हो रहा है




हमारे सैनिक माँ कि एक पुकार पर 
सीमा पर अपने प्राणों का बलिदान करते है

 और

हमारे नेता उनके ताबूतों में भी घोटाले करते है


उस शहीद का  परिवार   भूख से बिलख बिलख कर रोता  हैं

और दूसरी तरफ देश कि अस्मिता पर हमला करने वाला  कसाब

 बिरयानी खाने के बाद चैन की नींद सोता है




                                 
 आज मै गुजरा ...............................................








कानून केवल कमजोरों के लिए है
लाठी चार्ज केवल जनता पर होता है


बड़े बड़े घोटाले करने  वाले नेता
तिहाड़ में भी गद्दे पर सोता है ....................................




हम केवल मंदिर मस्जिद के नाम पर लड़ना जानते है
कभी धर्म तो कभी किसी और कारण से विभाजन चाहते है


 आज मै गुजरा ................................................................
 .


इतना सब कुछ सरेआम हो रहा है 


और हमारे माननीय भरी संसद में कहते है


कि भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है




                                    
आज मै गुजरा ..................................................................








इतिहास गुम है साथ ही गुम है हमारी वो  सोच


जिससे मिली थी आजादी












देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए


सशक्त विद्रोह मांग है वक़्त क़ी ...........................






Sunday, November 20, 2011

प्रेम

युगल तट ने हाथ फैलाकर सरिता से माँगा आलिंगन 
                                                .
.                  .                                                                                      






















.आज नहीं कल कल करती वह चली गयी                   







Saturday, October 22, 2011

बिछड़ते  हमसफ़र  
कन्नी  काटकर  पीछा  छुडाते   अपने 
दो  पल  के  भटकाव  को 
मनहूसियत  करार  देते लोग   
हर  बात  में  मीन -मेख  निकालने 
वाले 
 लोगों  के  बीच   संकोच  भरा  मन 
सच्चे  प्रेम  को  खो  देने  का  गम 
बंद  आँखें 
अंधियारी  गलियां  ,
जल्दी  से  प्रकाश पूर्ण  
गंतव्य  की  चाहत
   आज  का  यही  सच  .

Monday, September 19, 2011

पत्र


हम - तुम 
कयों हैं 
एक अरसे से  
गुम - सुम 
इस अनुत्तरित
से 
प्रश्न का उत्तर मांगते है 
लोग मुझसे

मैंने पूछा कई लोगों से 
पर नतीजा कुछ नहीं
निकला 


आज मै तुमसे पूछता हूँ
क्या तुम्हारे पास 

इस प्रश्न का उत्तर  है
या तुम भी निरुत्तर  हो 

आहें

तेरे लिए 

यदा कदा ही
                  निकलती हैं 

पर तेरी यादों को  

                   दर्द सदा झलकता है 

मन में 

जब जब देखता हूँ 
तेरी वो 
कॉलेज वाली तस्वीर 

इन आँखों से आंसूं  

भले न टपके 


पर 


मेरा दिल रोता है  ,


मै आज भी 

वहीं  तुम्हारा 

इन्तजार करता हूँ 

जहां मै 

आज से 

कई साल भी

तुम्हारा
                                              इन्तजार
                                                                                      करता  था 


अगर हो सके 


                            तो आना जरूर

Monday, September 12, 2011

निशब्द

ये मुस्कुराती हुई फिजायें
ये हर पल रंग बदलता मौसम
ये  तेरी यादों से सराबोर गलियां

जहां से गुजरते हुए आँखें बिना किसी भाव के भी नम होकर ही रहती है
मुझसे कुछ प्रश्न अनकहे से पूछती है

शायद इन गलियों से इनका कोई रिश्ता अभी तक बचा हुआ है ....

मुझे कुछ समझ  नहीं आता अब
शायद तुमने सच कहा था
मै नासमझ या नालायक सा कुछ  हूँ

क्या कहूँ मै


निशब्द सा हूँ मैं