दिल जला हो गया बेगाना
खुदी मेरी खुद-ब-खुद गयी
भूला राग गाना बजाना
' भोले ' का भुलावा गया
दिल का छलावा गया ,
बुद्धि करती रही बहाना
भूला गाँव - पता - ठिकाना ,
काबिलों के बीच पैठ कैसे हो
मुखालिफ हो जब सारा जमाना ,
बेअक्ल को अक्ल आ नहीं सकती
कबूतरी पंचम राग में कभी गा नहीं सकती ,
काबिलों से कैसे चलेगा बहाना
एक ही बार की हार से
हार क्यों मान ले
क्यों छोड़ दें जोर आजमाना,
बार - बार लगातारलगे रहने से मिलता ..............