Monday, April 4, 2011

दर्द का अहसास

क्या तुम्हे आभास है ?
मेरे दर्द का अहसास है ,
क्या होता है दर्द सपने टूटने का 
अपने प्यार का साथ छूटने का 
हर जगह मिल जायेंगे तुम्हे 
कुछ टूटे हुए सपने  , कुछ उसी तरह 
जैसे अक्सर मिल जाते हैं 
जिन्दगी के 'चौराहों' पर 
तुम्हारे लिए कुछ पराये व्यक्तित्व 
जो कभी थे तुम्हारे अपने 
जिनके सामने आते ही 
साँसे रुकते - रुकते रह जाती थीं 

तब से अब 
क्या तुमने महसूस किया है इस दर्द को पिया है 
की अब वह तुमसे निगाहें चुराकर निकल जाता है 
बंद मुठ्ठी से रेत की तरह फिसल जाता है 
उस जगह मुझे अपने टूटे सपने याद आते है 
मुझे अन्दर तक हिला जाते हैं 
शायद इसमें कुछ नया नहीं है 
ये सिलसिलासदियों से चला आ रहा रहा है 
सपने संजोना इंसानी फितरत है 
तो उनका टूटना शायद  कुदरत है 

हम सपने देखते हैं 
जब कभी हकीकत से होता है हमारा सामना 
तो हम उन्हें उतार फेंकते है 
हमारे यही फेंके हुए सपने 
जब  कभी हमारे सामने आते है 
या राहों में अजनबियों की ठोकरों पर 
पत्थर की तरह हो जाते हैं 
तो , मैं महसूस करता हूँ  
दर्द अपने सपनो के टूटने का 
अपने आपसे तुम्हारे रूठने का .


Sunday, April 3, 2011

कुछ बीते  अच्छे दिन
                        जब याद आते हैं ,
तो आँखों में तुम्हारी यादों के साथ 
                        कुछ अनसुलझे प्रश्न कौंध जाते हैं ,
प्रश्न हमारी कहानियों से जुड़े  हुए 
                         कुछ हमारी कहानियों से जुड़े हुए 
सच में मैंने खुद को तुम्हारी 
                        यादों में इतना डुबा लिया है 
की हर पल जिन्दगी का 
                       सदियों  की तरह बीतता है 
जब शाम होती है तो ह्रदय मेरा 
                       तेरे दिए दर्द से चीखता है 
कहना है उसका कि 
                      इन राहों में हम अकेले क्यों हैं 
हर बार मै उसे सांत्वना देकर 
                              कहता हूँ कि शायद जिस चौराहे पर हम  खड़े हैं 
  


उसका रास्ता तुम्हारे घर से होकर नहीं गुजरता 

भूले भटके

किसी की राह खो गयी 
                किसी को चौराहा न मिल सका 
कभी सफ़र पर जब हम चले 
                  तो साथ तेरा न मिल सका 
सवाल तो बहुत से है 
                 पर जवाब देने वाला कोई न मिल सका 
जूनून तोअकारण ही शांत हो गया 
                  मगर सुकून मुझे न मिल सका 
यह आइनों का ख्वाब था 
                 वो देखने से रह गए .
किसी भी नर्म दोष पर 
                 उनके सामने सर ये न झुक सका 
अभी डग हमने भरा न था 
                 कि रास्ते सारे सिमट गए 
तेरा साथ ऐसा  छूटा 
                  कि कदम जिन्दगी के ठिठक गए .
अभी कल कि ही तो बात है 
                   वो मेरे साथ - साथ था 

जरा पलक क्या झपक गयी 
                  कि उसका साथ जीवन भर न मिल सका