ये मुस्कुराती हुई फिजायें
ये हर पल रंग बदलता मौसम
ये तेरी यादों से सराबोर गलियां
जहां से गुजरते हुए आँखें बिना किसी भाव के भी नम होकर ही रहती है
मुझसे कुछ प्रश्न अनकहे से पूछती है
शायद इन गलियों से इनका कोई रिश्ता अभी तक बचा हुआ है ....
मुझे कुछ समझ नहीं आता अब
शायद तुमने सच कहा था
मै नासमझ या नालायक सा कुछ हूँ
क्या कहूँ मै
निशब्द सा हूँ मैं
ये हर पल रंग बदलता मौसम
ये तेरी यादों से सराबोर गलियां
जहां से गुजरते हुए आँखें बिना किसी भाव के भी नम होकर ही रहती है
मुझसे कुछ प्रश्न अनकहे से पूछती है
शायद इन गलियों से इनका कोई रिश्ता अभी तक बचा हुआ है ....
मुझे कुछ समझ नहीं आता अब
शायद तुमने सच कहा था
मै नासमझ या नालायक सा कुछ हूँ
क्या कहूँ मै
निशब्द सा हूँ मैं
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