Saturday, October 22, 2011

बिछड़ते  हमसफ़र  
कन्नी  काटकर  पीछा  छुडाते   अपने 
दो  पल  के  भटकाव  को 
मनहूसियत  करार  देते लोग   
हर  बात  में  मीन -मेख  निकालने 
वाले 
 लोगों  के  बीच   संकोच  भरा  मन 
सच्चे  प्रेम  को  खो  देने  का  गम 
बंद  आँखें 
अंधियारी  गलियां  ,
जल्दी  से  प्रकाश पूर्ण  
गंतव्य  की  चाहत
   आज  का  यही  सच  .