Sunday, July 17, 2011

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इन कहानियों का नायक कौन खलनायक कौन ?

कौन रोया किसने रुलाया ?

कब घटी थी वो घटना

जिस पर सच्चे मन से मुस्कुराये थे हम और आप

क्या याद हैं वो बातें

जिन्हें सोचने भर से आज दिल मुस्कुरा उठता है

साथ ही अफ़सोस भी होता है

कि हम अतीत को ही याद करके ही क्यूँ मुस्कुराते हैं .

क्या अब वो मौके दस्तूर नहीं हैं

या अब हमे मुस्कुराना नहीं आता

प्रश्न हैं ढेर सारे केवल उत्तरों का अभाव है



आज इस भीड़ में हैं गुम

हमारी विकासवादी सोच
हमारी खुशियाँ
और हम