हे
प्रेम तुम मौन क्यूँ रहते हो ?
जिसके पास तुम होते हो वही निशब्द हो जाता है
हमेशा चेहरों पर ही कयों
तुम उदासी सा भाव देते हो तुम ?
आखिर उनसे उनका सुख चैन तुम छीन लेते हो जो
तुम्हे चाहते हैं
प्रेम आखिर कयों तुम लोगों की आँखों में आंसू ही देते हो ?
क्या आज की भागती जिन्दगी में तुम भी बदल गए हो ?
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